Friday, October 5, 2012

स्टीव जॉब्स की भारत यात्रा


 स्टीव जॉब्स की भारत यात्रा

एक स्थानीय हाइ स्कूल में युवा जॉब्स को गर्मियों के दिनों में ह्युलेट पैकार्ड के संयंत्र में पालो आल्टो में काम करने का मौक़ा मिला और उन्होंने वहाँ एक साथी छात्र स्टीव वोज़नियाक के साथ मिलकर काम किया.
फिर एक ही साल बाद उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी अटारी के साथ काम किया क्योंकि वह भारत जाने के लिए पैसे जमा करना चाहते थे

जॉब्स जब भारत से लौटे तो उन्होंने बाल घुटवा लिए थे, वह भारतीय वेश-भूषा में थे और नशीले पदार्थ एलएसडी का सेवन कर चुके थे. मगर उसके बाद भी वह बौद्ध जीवन पद्धति में यक़ीन रखते थे और आजीवन शाकाहारी रहे.
उन्होंने फिर से अटारी में काम शुरू किया और अपने दोस्ट स्टीव वोज़नियाक के साथ मिलकर एक स्थानीय कंप्यूटर क्लब में जाना शुरू किया. वोज़नियाक ख़ुद का कंप्यूटर डिज़ायन कर रहे थे.
जॉब्स ने 1976 में वोज़निया की 50 मशीने एक स्थानीय कंप्यूटर स्टोर को बेच दीं और उस ऑर्डर की कॉपी के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक्स डिस्ट्रीब्यूटर को कहा कि वह उन्हें कलपुर्जे दे दें जिसकी रक़म अदायगी कुछ समय बाद हो पाएगी.
जॉब्स ने ऐपल-1 नाम से एक मशीन लॉन्च की और ये पहली ऐसी मशीन थी जिससे उन्होंने किसी से धन उधार नहीं लिया और न ही उस बिज़नेस का हिस्सा किसी को दिया.
उन्होंने अपनी कंपनी का नाम अपने पसंदीदा फल पर ऐपल रखा. पहले ऐपल से हुआ लाभ एक बेहतर संस्करण का ऐपल-टू बनाने में लगा दिया गया जो कि 1977 के कैलिफ़ोर्निया के कंप्यूटर मेले में दिखाया गया.
नई मशीनें महँगी थीं इसलिए जॉब्स ने एक स्थानीय निवेशक माइक मारकुला को मनाया कि वह ढाई लाख डॉलर का कर्ज़ दें और वोज़नियाक को साथ लेकर उन्होंने ऐपल कंप्यूटर्स नाम की कंपनी बनाई.

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया जानकारी... धन्यवाद आपका.

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