Wednesday, October 31, 2012

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती ३१ अक्टूबर


सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता के अदभुत शिल्पी थे जिनके ह्रदय में भारत बसता था। वास्तव में वे भारतीय जनमानस अर्थात किसान की आत्मा थे। स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल बर्फ से ढंके एक ज्वालामुखी थे। वे नवीन भारत के निर्माता थे। उन्हे भारत का ‘लौह पुरूष भी कहा जाता है।
स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बडा योगदान खेडा संघर्ष में हुआ। गुजरात का खेडा खण्ड(डिविजन) उन दिनो भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
देशी रीयासतों को भारत में मिलाने का साहसिक कार्य सरदार पटेल के प्रयासों से ही संभव हो सका। जब पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस को भारत परतन्त्रता की बेड़ियों से आजाद हुआ तो उस समय लगभग 562 देशी रियासतें थीं, जिन पर ब्रिटिश सरकार का हुकूमत नहीं था। उनमें से जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोडक़र अधिकतर रियासतों ने स्वेज्छा से भारत में अपने विलय की स्वीकृति दे दी। जूनागढ़ का नवाब जूनागढ़ का विलय पाकिस्तान में चाहता था। नवाब के इस निर्णय के कारण जूनागढ़ में जन विद्रोह हो गया जिसके परिणाम स्वरूप नवाब को पाकिस्तान भाग जाना पड़ा और जूनागढ़ पर भारत का अधिकार हो गया। हैदराबाद का निजाम हैदराबाद स्टेट को एक स्वतन्त्र देश का रूप देना चाहता था इसलिए उसने भारत में हैदराबाद के विलय कि स्वीकृति नहीं दी। यद्यपि भारत को 15 अगस्त 1947 के दिन स्वतन्त्रता मिल चुकी थी किन्तु 18 सितम्बर 1948 तक, हैदराबाद भारत से अलग ही रहा। इस पर तत्कालीन गृह मन्त्री सरदार पटेल ने हैदराबाद के नवाब की हेकड़ी दूर करने के लिए 13 सितम्बर 1948 को सैन्य कार्यवाही आरम्भ की जिसका नाम ‘ऑपरेशन पोलो’ रखा गया था। भारत की सेना के समक्ष निजाम की सेना टिक नहीं सकी और उन्होंने 18 सितम्बर 1948 को समर्पण कर दिया। हैदराबाद के निजाम को विवश होकर भारतीय संघ में शामिल होना पड़ा।
नि:संदेह सरदार पटेल द्वारा यह 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था क्योंकि भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी।  गाँधी जी ने सरदार पटेल को इन रियासतों के बारे में लिखा था, “रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।” ये कहना अतिश्योक्ती न होगी कि यदि काश्मीर का निर्णय नेहरू जी के बजाय पटेल के हाथ मे होता तो आज भारत में काश्मीर समस्या जैसी कोई समस्या नहीं होती।
भारतीय नागरिक सेवाओं (आई.सी.एस.) का भारतीयकरण कर इसे भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आई.ए.एस.) में परिवर्तित करना सरदार पटेल के प्रयासो का ही परिणाम है। यदि सरदार पटेल को कुछ समय और मिलता तो संभवत: नौकरशाही का पूर्ण कायाकल्प हो जाता। उनके मन में किसानो एवं मजदूरों के लिये असीम श्रद्धा थी। वल्लभभाई पटेल ने किसानों एवं मजदूरों की कठिनाइयों पर अन्तर्वेदना प्रकट करते हुए कहा:-
 ” दुनिया का आधार किसान और मजदूर पर हैं। फिर भी सबसे ज्यादा जुल्म कोई सहता है, तो यह दोनों ही सहते हैं। क्योंकि ये दोनों बेजुबान होकर अत्याचार सहन करते हैं। मैं किसान हूँ, किसानों के दिल में घुस सकता हूँ, इसलिए उन्हें समझता हूँ कि उनके दुख का कारण यही है कि वे हताश हो गये हैं। और यह मानने लगे हैं कि इतनी बड़ी हुकूमत के विरुद्ध क्या हो सकता है ? सरकार के नाम पर एक चपरासी आकर उन्हें धमका जाता है, गालियाँ दे जाता है और बेगार करा लेता है। “
किसानों की दयनीय स्थिति से वे कितने दुखी थे इसका वर्णन करते हुए पटेल ने कहा: -
“किसान डरकर दुख उठाए और जालिम की लातें खाये, इससे मुझे शर्म आती है और मैं सोचता हूँ कि किसानों को गरीब और कमजोर न रहने देकर सीधे खड़े करूँ और ऊँचा सिर करके चलने वाला बना दूँ। इतना करके मरूँगा तो अपना जीवन सफल समझूँगा”
कहते हैं कि यदि सरदार बल्लभ भाई पटेल ने जिद्द नहीं की होती तो ‘रणछोड़’ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति पद के लिए तैयार ही नहीं होते। जब सरदार वल्‍लभभाई पटेल अहमदाबाद म्‍युनिसिपेलिटी के अध्‍यक्ष थे तब उन्‍होंने बाल गंगाघर तिलक का बुत अहमदाबाद के विक्‍टोरिया गार्डन में विक्‍टोरिया के स्‍तूप के समान्‍तर लगवाया था। जिस पर गाँधी जी ने कहा था कि- “सरदार पटेल के आने के साथ ही अहमदाबाद म्‍युनिसिपेलिटी में एक नयी ताकत आयी है। मैं सरदार पटेल को तिलक का बुत स्‍थापित करने की हिम्‍मत बताने के लिये उन्हे अभिनन्‍दन देता हूं।”
भारत के राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में अक्षम शक्ति स्तम्भ थे। आत्म-त्याग, अनवरत सेवा तथा दूसरों को दिव्य-शक्ति की चेतना देने वाला उनका जीवन सदैव प्रकाश-स्तम्भ की अमर ज्योति रहेगा। सरदार पटेल मितभाषी, अनुशासनप्रिय और कर्मठ व्यक्ति थे। उनके व्यक्तित्व में विस्मार्क जैसी संगठन कुशलता, कौटिल्य जैसी राजनीतिक सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अब्राहम लिंकन जैसी अटूट निष्ठा थी। अपने अदम्य उत्साह, असीम शक्ति एवं मानवीय समस्याओं के प्रति व्यवहारिक दृष्टिकोण से उन्होंने निर्भय होकर स्वतंत्र राष्ट्र की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान अद्भुत सफलता से किया। राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं योगदान के ही कारण आज विश्व के श्रेष्ठ राजनीतिज्ञों की श्रेणी में सरदार पटेल को भी याद किया जाता है। विश्व मानचित्र में उनका अमिट स्थान है।
सरदार पटेल मन, वचन तथा कर्म से एक सच्चे देशभक्त थे। वे वर्ण-भेद तथा वर्ग-भेद के कट्टर विरोघी थे। वे अन्तःकरण से निर्भीक थे। अपूर्व संगठन-शक्ति एवं शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता रखने वाले सरदार पटेल, आज भी युवा पीढी के लिये प्रेरणा स्रोत हैं। कर्म और संघर्ष को वे जीवन का ही एक रूप समझते थे।
भारत के देशभक्तों में एक अमूल्य रत्न सरदार पटेल को भारत सरकार ने सन १९९१ में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया आज सरदार वल्लभ भाई पटेल हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा। ३१ अक्टूबर, उनकी जयंती पर अपनी भावांजली के साथ शत् शत् नमन करते हैं।

Saturday, October 20, 2012

An Interview with Modi!!

An Interview with Modi!!

राहुल कंवल – आपके आलोचक ये कहते हैं कि जब सुप्रीम कोर्ट ने आपको निर्दोष पाते हुए आपके पक्ष में फैसला किया तो आपने एक ट्विट किया था कि ‘’ ईश्वर महान है ‘’ और बीजपी ने ये कहा कि अब नरेंद्र मोदी सारे आरोपों से बरी हो गए

नरेंद्र मोदी – अच्छा मुझे ये बताइए कि अब किसी कोर्ट में या पुलिस थाने में मोदी पर क्या आरोप बचा है ,जरा प्लीज़ बताइए




राहुल कंवल – नहीं फिलहाल कोई आरोप नहीं है

नरेंद्र मोदी – फिर भाई कैसे और क्यों चिल्लाते रहते हो आप मीडिया वाले ,जब आप खुद मान रहे हो कि नहीं है तो आप देश को भी तो बताओ ना कि नहीं है



राहुल कंवल – बात आपकी सही है लेकिन ..............



नरेंद्र मोदी –

अरे !! नहीं है ये भी तो बताओ ना भाई





राहुल कंवल –

हम ये भी बताते हैं लेकिन ...............



नरेंद्र मोदी –

नहीं बताते हो मेहरबान आप लोग सच नहीं बताते हो देश को





राहुल कंवल –

हम ये मानते हैं मोदी जी कि फ़िलहाल आप पर कोई आरोप नहीं है लेकिन अभी आप पुरी तरह से बरी भी नहीं हुए हैं क्योंकि अब मामला सुप्रीम कोर्ट कि जगह निचली अदालत में चला जाएगा




नरेंद्र मोदी –

अरे भाई !! कमाल है ,यह तो एक सामान्य कानूनी प्रक्रिया है,अगर आप किसी कानून के जानकार से पूछो तो वो आपको बताएगा ,आप जरा खुद सोचो भई कि जब कहीं पर एक भी जगह पर मोदी के खिलाफ अब कोई शिकायत बची नहीं है तो आप लोग किस चीज कि चर्चा चलाते रहते हो मेरे खिलाफ ,वो तो मैं चुपचाप सह रहा हूँ क्योंकि आप लोगों ने इसको एक राजनीतिक रंग दिया हुआ है मुझे बदनाम करने के लिए ,इसीलिए आप चलाते रहिये, मेरी शुभकामनाएं हैं





राहुल कंवल –

लेकिन कुछ लोगों के दिमाग में अभी भी ये सवाल आता है कि अगर दौबारा 2002 दंगों जैसी कोई स्तिथि बनी तो तब नरेंद्र मोदी कि प्रतिक्रिया कैसी होगी ,क्या आप इस बात कि गारंटी लेते हैं कि दौबारा ऐसा कुछ कभी नहीं होगा ??



नरेंद्र मोदी –

मुझे एक बात बताओ आप देश कि सेवा करना चाहते हैं



राहुल कंवल –

बिलकुल



नरेंद्र मोदी –

ईमानदारी से मेहनत करना चाहते हैं



राहुल कंवल –

जी बिलकुल




नरेंद्र मोदी –

तो एक काम करोगे ??



( राहुल कंवल ने जवाब नहीं दिया इसका और चुप हो गया )




नरेंद्र मोदी –

करोगे ??, मैं आपसे ही पूँछ रहा हूँ



राहुल कंवल –

जी बोलिए ,बिलकुल करेंगे





नरेंद्र मोदी –


आप एक काम कीजिये , देश के 5 बड़े दंगो कि स्टडी कीजिए , 1984 के दिल्ली में हुए दंगे , बिहार के भागलपुर में हुए दंगे , 1969 में गुजरात के दंगे , 1992 के मुंबई के दंगे और 2002 में गुजरात के दंगे ,इन सब दंगों कि डिटेल रिपोर्ट उपलब्ध है ,जरा Analysis कीजिये ,इन पाँचों दंगो कि आपको जो पैरामीटर ठीक लगें उस हिसाब से तुलना कीजिये,जांच कीजिये , और अगर आपकी खुद कि रिसर्च में आपको लगे कि इन पाँचों में दंगे रोकने का सबसे अच्छा काम मेरे शासन में हुआ तो क्या आप देश को ये बताओगे ,जरा इतना काम करिये और उसके बाद कोई सवाल मन में उठे तो मेरे पास आना पूछने के लिए और ये ही जवाब है आपके इस दोगले सवाल का कि दौबारा ऐसा होगा तो मोदी क्या करेगा




राहुल कंवल –

लेकिन ये सवाल महत्वपूर्ण है मोदी जी





नरेंद्र मोदी –

महत्वपूर्ण तो आपके लिए हर चीज है वरना आप दिल्ली से यहाँ क्यों आते मेरे पास ऐसे सवाल पूछने के लिए ,आखिर आपकी रोजी-रोटी इसी पर चलती है भैया ,और इसी कारण मैं आपके सवाल के जवाब दे रहा हूँ और उसे फ़ालतू सवाल ना मानकर respect ही दे रहा हूँ और ये नहीं मान रहा कि आप मेरा समय खराब कर रहे हो ,आप तो भई sincerely ही काम कर रहे हो लेकिन मैं क्या कहता हूँ कि आपने जो ये मुझसे सवाल पूछा तो आप क्या बस इतना सा काम करोगे क्या कि इन पांच बड़े दंगो कि स्टडी जिनमें से चार कोंग्रेस के शासन में हुए हैं और एक मेरी बीजपी के शासन में हुआ , सिर्फ इन पांच दंगो कि रिसर्च करके इन पाँचों कि तुलना करते हुए इनको देश के सामने रखने कि हिम्मत करोगे क्या ,आपके सारे सवालों के जवाब आपको मिल जायेंगे ,लेकिन ये मेहनत किसी को करनी नहीं है ,सत्य खोजना नहीं है ,बस एक जो हवा चल पड़ती है उसी को लेकर चल पड़ते हैं ,कभी पीएम पद कि हवा चली तो उसको लेकर चल पड़े ,कभी करप्शन कि चल पड़ी तो उसको लेकर चल पड़े ,कभी दंगो कि चल पड़ी तो उसको लेकर चल पड़े





राहुल कंवल –

मोदी जी हम मानते हैं कि आपने हर बार ये कहा है कि कानून सबके लिए बराबर है और जो भी गुनहगार है उसको सजा मिले लेकिन क्या आप दंगों के गुनहगारों को सजा देंगे मुख्यमंत्री के रूप में




नरेंद्र मोदी –

मुख्यमंत्री सजा नहीं देता है ,सजा देने का काम न्यायपालिका करती है लेकिन मैं आपको यही तो कह रहा हूँ कि आप स्टडी करो ,मेहरबानी करके बस इतना करो भाई ,उम्र आपकी छोटी है थोड़ी मेहनत करो, इन चार दंगो में क्या हुआ और मेरे यहाँ क्या हुआ ,जब इन पाँचों दंगो पे रिसर्च करोगे ना तो खुद मानोगे कि गुजरात कि मेरी सरकार ने तो इतना अच्छा काम किया दंगे रोकने के लिए बाकी कि चार कोंग्रेस कि सरकारें उस समय क्या कर रही थी ,ये स्तिथि बनेगी




राहुल कंवल –

इंटरव्यू खत्म करने से पहले आपसे ये जानना चाहते हैं कि आजकल RSS ज्यादा आपके साथ दिखाई नहीं दे रही ,संघ-प्रमुख या उनके बाकी लीडर तो नहीं दिखाई दिए आपके साथ



नरेंद्र मोदी –

कहाँ पे चाहिए आपको




राहुल कंवल –

आपके इस शिविर में



नरेंद्र मोदी –
कौन सा शिविर ??,ये तो जनता-जनार्दन का समारोह है



राहुल कंवल –
लेकिन बीजपी के तो सारे नेता आये




नरेंद्र मोदी –
पहली बात है अगर यही आपका मापदंड है तब मैं आपको बता देता हूँ कि सुबह संघ के प्रान्त-संचालक मेरे साथ में थे ,संघ के सभी प्रांत-प्रचारक भी मेरे साथ में थे लेकिन अगर मीडिया को वे पहचान में नहीं आते हैं तो इसमें मैं क्या करूँ ,अभी शाम को सुरेश जी सोनी मेरे साथ काफी देर तक रहे ,सभी मेरे साथ थे




राहुल कंवल –

आपकी देश में बढती हुई चमक देखकर तो अब ये पक्का लगता है कि आपने अब पूरा मन बना लिया है देश का अगला प्रधानमंत्री बनने का



नरेंद्र मोदी –
देखिये मेरे जीवन को आप कितना जानते हैं मुझे मालुम नहीं लेकिन ........



राहुल कंवल –
बहुत Closely follow किया है आपके जीवन को


नरेंद्र मोदी –

नहीं मेरे जीवन को Closely follow करने भर से आप मुझे जान गए हैं ऐसा नहीं है क्योंकि आप लोग बस मेरे बारे में जो खबरें बनाते रहते हैं ना उसी का विश्लेषण भर करते हो लेकिन एक इंसान को जानने के लिए कुछ और चाहिए खैर मैं कह रहा था कि


मैंने बहुत छोटी आयु में ही घर छोड़ दिया था और फिर समाज-सेवा में लग गया था ,राजनीती से मेरा दूर-२ तक कोई लेना-देना नहीं था ,मैंने कभी जिंदगी में चुनाव नहीं लड़ा था ,मेरी जिंदगी अलग किस्म कि रही है ,अचानक कुछ विशिष्ट परिस्तियों में मुझ पर ये मुख्यमंत्री का दायित्व आ गया तो इसको मैं अच्छे से निभाने कि कोशिश कर रहा हूँ ,मैं आज जहाँ पर हूँ ना यहाँ पर भी कभी सोचकर नहीं पहुंचा,इस प्रकार का सोचना मेरी फितरत में ही नहीं है , हाँ लेकिन मेरी शुरू से एक Philosphy रही है जिस पर कि मेरा आज भी अटूट विश्वास है, और आम तौर पर जब कभी मुझे नौजवानों से मिलने का मौका लगता है तो मैं उन सबको भी वही बताता हूँ ,वो ये है कि जीवन में कभी भी कुछ बनने के सपने कभी मत देखो ,सपने देखने हैं तो कुछ करने के सपने देखो करने से ही संतोष मिलता है जी क्योंकि बनने के सपने देखने में परेशानी ये रहती है कि जैसे आज आप एक रिपोर्टर हैं और आप चीफ रिपोर्टर बनना चाहते हो लेकिन क्योंकि आप बन नहीं पा रहे हो तो रिपोर्टर बनने में भी आनंद नहीं ले पा रहे हो और इसी चीज को रोने-बैठने में आपका समय बर्बाद हो रहा है ,तो मैं नौजवानों को भी यही कहता हूँ और खुद भी इसी में यकीन रखता हूँ , इसीलिए मेरे जीवन में कुछ बनने का सपना कभी नहीं रहा और आज भी नहीं है लेकिन हाँ देश के लिए कुछ करने के सपने बहुत हैं ,मुझे गुजरात कि जिम्मेदारी मिली है और उसको मैं अच्छे से निभाने कि कोशिश कर रहा हूँ





राहुल कंवल –

लेकिन अब धीरे-२ ऐसा लग रहा है कि अब आपकी नजर के सामने अहमदाबाद के अलावा सारा हिंदुस्तान भी है ,क्योंकि हमने लाल कृष्ण आडवाणी जी से बात कि ,यशवंत सिन्हा जी से भी बात कि और उन दोनों ने यही कहा कि नरेंद्र मोदी बहुत ही प्रबल और बेहतर दावेदार है प्रधानमंत्री पद के ,तो क्या अब हम ये मानें कि नरेंद्र मोदी दावेदारी ठोक रहे हैं कि बीजपी कि तरफ से पीएम पद के अगले उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ही होंगे

राहुल कंवल –
लेकिन यही सवाल मैंने आपसे पहले भी पूछा था और आपने तब भी यही कहा था कि आपकी नजर सिर्फ साढ़े 6 करोड़ गुजरातियों पर ही है लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि आपकी उसके अलावा देश के बाकी लोगों पर भी नजर है




नरेंद्र मोदी –
मुझे अभी जिम्मेदारी मिली हुई है साढ़े 6 करोड़ गुजरातियों का भला करने कि लेकिन मैं साढ़े 6 करोड़ गुजरातियों का भला क्यों करना चाहता हूँ क्योंकि वही तो मेरे देश कि सेवा है ,जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि अगर मैं किसी पंचायत का प्रधान हूँ और उस पंचायत को मैं बहुत अच्छी चलाता हूँ तो मैं मानता हूँ कि मैं देश कि ही सेवा कर रहा हूँ ,मुझे बताइए जो मैं कर रहा हूँ क्या उसका कोई फायदा पाकिस्तान को है






नरेंद्र मोदी –

जब मैं वन्दे-मातरम का गान करता हूँ ना तो मेरे सामने पूरा हिंदुस्तान ही होता है , और सिर्फ अभी से नहीं जब स्कूल में भी पढता था तब से ही होता है, और हिंदुस्तान के हर नागरिक के दिल और दिमाग में सिर्फ हिंदुस्तान ही होना चाहिए , होना ही चाहिए ,नहीं है तो बुरा है , हम सभी का काम है कि हमारी भारत माता महान बने ,हमारी भारत माता सुखी हो , भले ही हम कहीं पर भी हों ,हम स्कूल के टीचर हो सकते हैं ,हम कोई ऑटो-रिक्शा ड्राईवर हो सकते हैं लेकिन उसके बाद भी हम देश के लिए काम कर सकते हैं, मेरे लिए अगर मैं किसी गाँव में काम करता हूँ तो वो मैं देश के लिए ही काम करता हूँ,किसी राज्य में काम करता हूँ तो देश के लिए ही काम करता हूँ क्योंकि मेरा एक ही मंत्र रहता है कि भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास ,इसीलिए कुछ लेना ,पाना ,बनना ये नरेंद्र मोदी के जेहन में ही नहीं है ,जो मुझे जानते हैं वे कभी ऐसा सवाल ही नहीं करते हैं मेरे बारे में...




1). http://www.youtube.com/watch?v=IeBF2mPhDLc

2). http://www.youtube.com/watch?v=_Kl7_3G6fII

3). http://www.youtube.com/watch?v=EXCywjtXc-k

4) http://www.youtube.com/watch?v=4XlsccszFKw

5) http://www.youtube.com/watch?v=60HzJy_e0zQ

6) http://www.youtube.com/watch?v=gDUjNFVSUR8

7) http://www.youtube.com/watch?v=2nat39OYD2s




Friday, October 19, 2012

यह है भारत देश यहाँ के हिन्दू बड़े निराले हैं..

यह है भारत देश यहाँ के हिन्दू बड़े निराले हैं..
कुछ ही रामचन्द्र के भक्त हैं, बाकी बाबर के साले हैं..

लश्कर तोइबा की सेना में जितने दाढ़ी वाले हैं..
उस से ज्यादा हरिद्वार में माला - कंठी वाले हैं...

जब पकिस्तान में जितने घर हैं, उतने यहाँ शिवाले हैं..
फिर वन्दे मातरम् क्यों नहीं कहते क्या इनके मुह में ताले हैं ???
हे नकली भक्तों भारत माँ के, तेरे प्राण भी जाने वाले हैं...
क्यों की अब हर घर से प्रज्ञा और पुरोहित आने वाले हैं.....

जय श्री राम

एक सवाल श्री राम से.....

एक सवाल श्री राम से.....

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों?
हमेशा तेरे ही भक्तों की पीठ में खंज़र क्यों ??

कहा गया है है कि तू सब की सुनता है ..
फिर तेरा भक्त पुरोहित अब तक अन्दर क्यों ??

जब तू ही लिखता है तकदीर पूरी दुनिया की..
फिर हिन्दू अभागे और मुल्ले मुक्कदर के सिकंदर क्यों ??

जब तूने ही वध किया था रावण जैसे पापी का...
फिर उसी धरती पर औरंगजेब और बाबर क्यों ??

तेरे राम राज में कभी बहता था शौर्य का दरिया....
आज उसी दुनिया में नामर्दी का सागर क्यों ??

जिन्होंने बीच चौराहे नंगा किया था तेरी हिन्दू नारियों को...
आज उन्ही के लिए भाई - भाई जैसा आदर क्यों ??

हे मेरे राम....

Sunday, October 7, 2012

किसी रोज़ शाम के वक़्त



सूरज के आराम के वक़्त 
मिल जाये जो साथ तेरा 
हाथ में ले कर हाथ तेरा 
दूर किसी तन्हाई में 
दुनिया की शातिर परछाई में 
अपने संग बिठाऊँ तुझे 
दिल का हाल सुनाऊँ तुझे 
तेरी तारीफ आम करूं 
तेरे हाथ की लकीरों में 
तलाश अपना नाम करूं......
Tujhe Paane Ki Is Liye Zidd Nahi Karte 
Ke Tujhe Khone Ko Dil Nahi Karta

Tu Milta Hai Toh Is Liye Nazrein Nahi Uthaate 
Ke Phir Nazrein Hatane Ko Dil Nahi Karta 

Dil Ki Baat Iss Liye Tujhse Nahi Karte
Ke Apna Dil Dukhane Ko Dil Nahi Karta

Khwabon Mein Iss Liye Tujhko Nahi Sajaate
Ke Phir Neend Se Jagne Ko Dil Nahi karta ..

Saturday, October 6, 2012

सफलता का रहस्य


एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या  है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.
सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”
लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”
सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना  चाहते थे  तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.

संगती का असर


एक बार एक राजा शिकार के उद्देश्य से अपने काफिले के साथ किसी जंगल से गुजर रहा था | दूर दूर तक शिकार नजर नहीं आ रहा था, वे धीरे धीरे घनघोर जंगल में प्रवेश करते गए | अभी कुछ ही दूर गए थे की उन्हें कुछ डाकुओं के छिपने की जगह दिखाई दी | जैसे ही वे उसके पास पहुचें कि पास के पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा – ,
” पकड़ो पकड़ो एक राजा आ रहा है इसके पास बहुत सारा सामान है लूटो लूटो जल्दी आओ जल्दी आओ |”
तोते की आवाज सुनकर सभी डाकू राजा की और दौड़ पड़े | डाकुओ को अपनी और आते देख कर राजा और उसके सैनिक दौड़ कर भाग खड़े हुए | भागते-भागते कोसो दूर निकल गए | सामने एक बड़ा सा पेड़ दिखाई दिया | कुछ देर सुस्ताने के लिए उस पेड़ के पास चले गए , जैसे ही पेड़ के पास पहुचे कि उस पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा – आओ राजन हमारे साधू महात्मा की कुटी में आपका स्वागत है | अन्दर आइये पानी पीजिये और विश्राम कर लीजिये | तोते की इस बात को सुनकर राजा हैरत में पड़ गया , और सोचने लगा की एक ही जाति के दो प्राणियों का व्यवहार इतना अलग-अलग कैसे हो सकता है | राजा को कुछ समझ नहीं आ रहा था | वह तोते की बात मानकर अन्दर साधू की कुटिया की ओर चला गया, साधू महात्मा को प्रणाम कर उनके समीप बैठ गया और अपनी सारी कहानी सुनाई | और फिर धीरे से पूछा, “ऋषिवर इन दोनों तोतों के व्यवहार में आखिर इतना अंतर क्यों है |”
साधू महात्मा धैर्य से सारी बातें सुनी और बोले ,” ये कुछ नहीं राजन बस संगति का असर है | डाकुओं के साथ रहकर तोता भी डाकुओं की तरह व्यवहार करने लगा है और उनकी ही भाषा बोलने लगा है | अर्थात जो जिस वातावरण में रहता है वह वैसा ही बन जाता है कहने का तात्पर्य यह है कि मूर्ख भी विद्वानों के साथ रहकर विद्वान बन जाता है और अगर विद्वान भी मूर्खों के संगत में रहता है तो उसके अन्दर भी मूर्खता आ जाती है | इसिलिय हमें संगती सोच समझ कर करनी चाहिए |

Friday, October 5, 2012

स्टीव जॉब्स की भारत यात्रा


 स्टीव जॉब्स की भारत यात्रा

एक स्थानीय हाइ स्कूल में युवा जॉब्स को गर्मियों के दिनों में ह्युलेट पैकार्ड के संयंत्र में पालो आल्टो में काम करने का मौक़ा मिला और उन्होंने वहाँ एक साथी छात्र स्टीव वोज़नियाक के साथ मिलकर काम किया.
फिर एक ही साल बाद उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी अटारी के साथ काम किया क्योंकि वह भारत जाने के लिए पैसे जमा करना चाहते थे

जॉब्स जब भारत से लौटे तो उन्होंने बाल घुटवा लिए थे, वह भारतीय वेश-भूषा में थे और नशीले पदार्थ एलएसडी का सेवन कर चुके थे. मगर उसके बाद भी वह बौद्ध जीवन पद्धति में यक़ीन रखते थे और आजीवन शाकाहारी रहे.
उन्होंने फिर से अटारी में काम शुरू किया और अपने दोस्ट स्टीव वोज़नियाक के साथ मिलकर एक स्थानीय कंप्यूटर क्लब में जाना शुरू किया. वोज़नियाक ख़ुद का कंप्यूटर डिज़ायन कर रहे थे.
जॉब्स ने 1976 में वोज़निया की 50 मशीने एक स्थानीय कंप्यूटर स्टोर को बेच दीं और उस ऑर्डर की कॉपी के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक्स डिस्ट्रीब्यूटर को कहा कि वह उन्हें कलपुर्जे दे दें जिसकी रक़म अदायगी कुछ समय बाद हो पाएगी.
जॉब्स ने ऐपल-1 नाम से एक मशीन लॉन्च की और ये पहली ऐसी मशीन थी जिससे उन्होंने किसी से धन उधार नहीं लिया और न ही उस बिज़नेस का हिस्सा किसी को दिया.
उन्होंने अपनी कंपनी का नाम अपने पसंदीदा फल पर ऐपल रखा. पहले ऐपल से हुआ लाभ एक बेहतर संस्करण का ऐपल-टू बनाने में लगा दिया गया जो कि 1977 के कैलिफ़ोर्निया के कंप्यूटर मेले में दिखाया गया.
नई मशीनें महँगी थीं इसलिए जॉब्स ने एक स्थानीय निवेशक माइक मारकुला को मनाया कि वह ढाई लाख डॉलर का कर्ज़ दें और वोज़नियाक को साथ लेकर उन्होंने ऐपल कंप्यूटर्स नाम की कंपनी बनाई.

Wednesday, October 3, 2012

कथा हिन्दु-कुश की :

Agar Mohabat Yehi Hai Dost Toh Maaf Karna Mujhe Nahi Hai...!

Libas Tan Se Utaar Dena
Kisi Ko Banhon Ke Haar Dena
Phir Uske Jazbon Ko Maar Dena
Agar Mohabat Yehi Hai Dost Toh Maaf Karna Mujhe Nahi Hai..!

Gunah Karne Ka Soch Lena
Haseen Pariyan Daboch Lena
Phir Uski Aankhein Hi Noch Lena
Agar Mohabat Yehi Hai Dost Toh Maaf Karna Mujhe Nahi Hai..!

Kisi Ko Lafzon Ke Jaal Dena
Kisi Ko Jazbon Ki Dhaal Dena
Phir Uski Izzat Uchaal Dena
Agar Mohabat Yehi Hai Dost Toh Maaf Karna Mujhe Nahi Hai...!

Andhair Raste Me Chalte Jana
Haseen Kaliyan Sochte Jana
Aur Apni Fitrat Pe Muskurana
Agar Mohabat Yehi Hai Dost Toh Maaf Karna Mujhe Nahi Hai...!