Saturday, November 24, 2012

आराम से पढ़िए और फुरसत में पढ़िए लेकिनपढ़िए जरुर...कही आपके साथ ये सब न हो रहा हो....एक व्यक्ति ऑफिस में देर रात तक कामकरने के बादथका -हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलतेही उसनेदेखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोनेकी बजायेउसका इंतज़ार कर रहा है .अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —“ पापा ,क्या मैं आपसेएक सवाल पूछ सकता हूँ ?”“ हाँ -हाँ पूछो , क्या पूछना है ?”पिता ने कहा .बेटा - “ पापा , आप एक घंटे मेंकितना कमा लेते हैं ?”“ इससे तुम्हारा क्या लेना देना …तुम ऐसेबेकार केसवाल क्यों कर रहे हो ?” पिता नेझुंझलाते हुए उत्तरदिया .बेटा - “ मैं बस यूँही जानना चाहता हूँ .प्लीसबताइए कि आप एक घंटे में कितना कमातेहैं ?”पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुएकहा , “ 100रुपये .”“अच्छा ”, बेटे ने मासूमियत से सर झुकातेहुए कहा -,“ पापा क्या आप मुझे 50 रूपये उधार देसकते हैं ?”इतना सुनते ही वह व्यक्ति आगबबूला हो उठा , “तो तुम इसीलिए ये फ़ालतू का सवाल कररहे थेताकि मुझसे पैसे लेकर तुम कोई बेकारका खिलौना या उटपटांग चीज खरीदसको ….चुप –चापअपने कमरे में जाओ और सो जाओ….सोचो तुम कितनेखुदगरज हो …मैं दिन रात मेहनत करके पैसेकमाता हूँऔर तुम उसे बेकार की चीजों में बर्वादकरना चाहतेहो ”यह सुन बेटे की आँखों में आंसू आ गए …और वहअपनेकमरे में चला गया .व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोचरहा था कि आखिर उसके बेटे कि ऐसा करनेकि हिम्मतकैसे हुई ……पर एक -आध घंटा बीतने केबाद वहथोडा शांत हुआ , और सोचनेलगा कि हो सकता हैकि उसके बेटे ने सच -में किसी ज़रूरी कामके लिए पैसेमांगे हों , क्योंकि आज से पहले उसनेकभी इस तरह सेपैसे नहीं मांगे थे .फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया औरबोला , “क्या तुम सो रहे हो ?”, “नहीं ” जवाबआया .“ मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार मेंही तुम्हे डांटदिया , दरअसल दिन भर के काम से मैं बहुतथक गया था .” व्यक्ति ने कहा .“मुज़े माफ करदो.….ये लो अपने पचासरूपये .”ऐसा कहते हुए उसने अपने बेटे के हाथ मेंपचास की नोटरख दी ."सुक्रिया पापा ” बेटा ख़ुशी से पैसे लेतेहुएकहा , और फिर वह तेजी से उठकरअपनी आलमारी की तरफ गया , वहां सेउसने ढेर सारेसिक्के निकाले और धीरे -धीरे उन्हें गिननेलगा .यह देख व्यक्ति फिर से क्रोधित होनेलगा , “ जबतुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे तो तुमनेमुझसे औरपैसे क्यों मांगे ?”“ क्योंकि मेरे पास पैसे कम थे , पर अब पूरेहैं ” बेटे नेकहा .“ पापा अब मेरे पास 100 रूपये हैं . क्या मैंआपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? प्लीसआप येपैसे ले लीजिये और कल घर जल्दी आ जाइये ,मैंआपके साथ बैठकरखाना खाना चाहता हूँ .”दोस्तों , इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कईबार खुदको इतना व्यस्त कर लेते हैं कि उनलोगो के लिएही समय नहीं निकाल पाते जो हमारेजीवन में सबसेज्यादा महत्व रखते हैं. इसलिए हमें ध्यानरखना होगा कि इस आपा-धापी में भी हमअपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्नमित्रों के लिएसमय निकालें, वरना एक दिन हमेंभी अहसासहोगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने केलिए कुछ बहुतबड़ा खो दिया.....जय महाकाल....


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