Saturday, June 23, 2012

मैं गर्व के साथ कहता हूं कि मैं धर्म- निरपेक्ष नही अपितु धर्म- सापेक्ष हिन्दू हूं.

क्या राजनैतिक लाभ के लिये 1976 में किया गया 42 वां संविधान संशोधन हमें हमारे गौरवमयी धर्म से विहीन या विलग करके निर्धमी/ अधर्मी या धर्म- निरपेक्ष(शाब्दिक अर्थ- जिसका झुकाव किसी धर्म की तरफ़ ना हो) बना सकता है... मैं गर्व के साथ कहता हूं कि मैं धर्म- निरपेक्ष नही अपितु धर्म- सापेक्ष हिन्दू हूं... और मेरा धर्म मुझे सर्व धर्म समभाव की सीख देता है... जिस सनातन/ पुरातन् धर्म को बडे से बडे अत्याचार और अनाचार ना मिटा सके... उसे मिटाने की एक संविधान संशोधन अधिकारिक घोषणा कर गया और हम देखते रह गये... विश्व शांति के लिये हिन्दुत्व अवश्यंम्भावी है...

वन्दे मातरम् 
जय सिया राम

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