Tuesday, August 28, 2012

हिंदू तू क्यो घबराता है, वक्त तेरा भी आएगा...! जहान होगा कदमो मे तेरे, तू हिंदू राष्ट्र बनाएगा...!!


हिंदू तू क्यो घबराता है, वक्त तेरा भी आएगा...!

जहान होगा कदमो मे तेरे, तू हिंदू राष्ट्र बनाएगा...!!


राम-कृष्ण की भूमि से रावणराज विनष्ट हो जाएगा..!

तब मंत्र विभुषित वायु में केसरिया ध्वज लहराएगा...!!


फिर, घर घर में न सिर्फ मंदिर होगा..! 

बल्कि हिंदुत्व उनके संस्कार में होगा..!!


ऐ हिंदू ......अपने भारत में तू ही रामराज्य लाएगा....!


छोड़ अहिंसा की बातें .. इसके दायरे शेष में छोड़ जाते हैं...!

उठा गांडीव भेद दे लक्ष्य, हर हिंदू शूरवीर अर्जुन बन जाएगा..!!



सिर्फ स्वप्न ही मत देखता रह.. मार्ग प्रशस्त अब करना होगा...!

गरल का उत्तर प्रतिगरल से, हे हिंदू तुझको अब देना होगा....!!
 

जय महाकाल...!!!

Sunday, August 12, 2012

WHEN DID VEDAS ORIGINATE.??

The first misconception is about the origin of the Vedas. The following arguments have been placed by the ignorants:-

☯ World must have begun after Genesis as given by Bible. Hence Vedas must be later than that

☯ Man must have been primitive several thousand years ago. Hence Vedas must be later than that (The fact remains that despite so much of publicity everywhere, including text-books of chil
dren and students, there is not one single credible, authoritative evidence – be it in archaeology or otherwise – that can establish the fancy early-man theory and that of evolution of humans from apes from algae from dust etc. Similar is the hoax of Aryan Invasion Theory and that Vedas are compilations of songs sung by shepherds.)

☯ Aryans destroyed Harappan Civilisation, after which they invaded India and brought Vedas with them.

☯ The language of different chapters of Vedas is different. Hence those portions must have been written during times when similar language is observed in other texts.

☯ Vedas contain a word which was used as synonym of Gold in recent times. Thus Vedas must have been written after that.

☯ Vedas contain word Ganga, Yamuna, Saraswati. Hence they must have been written when Saraswati river existed. (This is like saying Mahabharat must have been written recently because it contains mention of Arjun Singh and Lal Krishna Advani!)

In summary, all the reasons provided to date Vedas are based on making the conclusion first (that Vedas are of recent origin) and then trying to cook up reasons. Similar to many corporates deciding to fix the profit numbers first and then preparing the accounts accordingly.

The fact however remains that no one ever could date Vedas. All ancient texts claim Vedas to be ever-present since inception.

Thursday, August 9, 2012

Q. How old is Sanatana Dharma?


हिन्दुत्व को प्राचीन काल में सनातन धर्म कहा जाता था। हिन्दुओं के धर्म के मूल तत्त्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान आदि हैं जिनका शाश्वत महत्त्व है। अन्य प्रमुख धर्मों के उदय के पूर्व इन सिद्धान्तों को प्रतिपादित कर दिया गया था। इस प्रकार हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था। मान्य ज्ञान जिसे विज्ञान कहा जाता है प्रत्येक वस्तु या विचार का गहन मूल्यांकन कर रहा है और इस प्रक्रिया में अनेक विश्वास, मत, आस्था और सिद्धान्त धराशायी हो रहे हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आघातों से हिन्दुत्व को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके मौलिक सिद्धान्तों का तार्किक आधार तथा शाश्वत प्रभाव है। 

आर्य समाज जैसे कुछ संगठनों ने हिन्दुत्व को आर्य धर्म कहा है और वे चाहते हैं कि हिन्दुओं को आर्य कहा जाय। वस्तुत: 'आर्य' शब्द किसी प्रजाति का द्योतक नहीं है। इसका अर्थ केवल श्रेष्ठ है और बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य की व्याख्या करते समय भी यही अर्थ ग्रहण किया गया है। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ उदात्त अथवा श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था। वस्तुत: प्राचीन संस्कृत और पालि ग्रन्थों में हिन्दू नाम कहीं भी नहीं मिलता। यह माना जाता है कि परस्य (ईरान) देश के निवासी 'सिन्धु' नदी को 'हिन्दु' कहते थे क्योंकि वे 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। धीरे-धीरे वे सिन्धु पार के निवासियों को हिन्दू कहने लगे। भारत से बाहर 'हिन्दू' शब्द का उल्लेख 'अवेस्ता' में मिलता है। विनोबा जी के अनुसार हिन्दू का मुख्य लक्षण उसकी अहिंसा-प्रियता है 

हिंसया दूयते चित्तं तेन हिन्दुरितीरित:।
एक अन्य श्लोक में कहा गया है
ॐकार मूलमंत्राढ्य: पुनर्जन्म दृढ़ाशय:
गोभक्तो भारतगुरु: हिन्दुर्हिंसनदूषक:। 

ॐकार जिसका मूलमंत्र है, पुनर्जन्म में जिसकी दृढ़ आस्था है, भारत ने जिसका प्रवर्तन किया है, तथा हिंसा की जो निन्दा करता है, वह हिन्दू है।
चीनी यात्री हुएनसाग् के समय में हिन्दू शब्द प्रचलित था। यह माना जा सकता है कि हिन्दू' शब्द इन्दु' जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है से बना है। चीन में भी इन्दु' को इन्तु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा को बहुत महत्त्व देते हैं। राशि का निर्धारण चन्द्रमा के आधार पर ही होता है। चन्द्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इन्तु' या 'हिन्दु' कहने लगे। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व ही 'हिन्दू' शब्द के प्रचलित होने से यह स्पष्ट है कि यह नाम मुसलमानों की देन नहीं है। 

भारत भूमि में अनेक ऋषि, सन्त और द्रष्टा उत्पन्न हुए हैं। उनके द्वारा प्रकट किये गये विचार जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। कभी उनके विचार एक दूसरे के पूरक होते हैं और कभी परस्पर विरोधी। हिन्दुत्व एक उद्विकासी व्यवस्था है जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता रही है। इसे समझने के लिए हम किसी एक ऋषि या द्रष्टा अथवा किसी एक पुस्तक पर निर्भर नहीं रह सकते। यहाँ विचारों, दृष्टिकोणों और मार्गों में विविधता है किन्तु नदियों की गति की तरह इनमें निरन्तरता है तथा समुद्र में मिलने की उत्कण्ठा की तरह आनन्द और मोक्ष का परम लक्ष्य है। 

हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति अथवा जीवन दर्शन है जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को परम लक्ष्य मानकर व्यक्ति या समाज को नैतिक, भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के अवसर प्रदान करता है। हिन्दू समाज किसी एक भगवान की पूजा नहीं करता, किसी एक मत का अनुयायी नहीं हैं, किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रतिपादित या किसी एक पुस्तक में संकलित विचारों या मान्यताओं से बँधा हुआ नहीं है। वह किसी एक दार्शनिक विचारधारा को नहीं मानता, किसी एक प्रकार की मजहबी पूजा पद्धति या रीति-रिवाज को नहीं मानता। वह किसी मजहब या सम्प्रदाय की परम्पराओं की संतुष्टि नहीं करता है। आज हम जिस संस्कृति को हिन्दू संस्कृति के रूप में जानते हैं और जिसे भारतीय या भारतीय मूल के लोग सनातन धर्म या शाश्वत नियम कहते हैं वह उस मजहब से बड़ा सिद्धान्त है जिसे पश्चिम के लोग समझते हैं । कोई किसी भगवान में विश्वास करे या किसी ईश्वर में विश्वास नहीं करे फिर भी वह हिन्दू है। यह एक जीवन पद्धति है; यह मस्तिष्क की एक दशा है। हिन्दुत्व एक दर्शन है जो मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त उसकी मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक आवश्यकता की भी पूर्ति करता है।

Saturday, August 4, 2012

आज लगभग हर हिंदू के गले में और/या भुजा में ताबीज सुशोभित है वह भी मुसलमानों की ही देन है |